एक बार बादशाह अकबर को अपने दरबारियों को पहेलियां बुझाने की आदत थी।वह अक्सर ऐसे सवाल पूछते थे जो अजीब और मजाकिया होते थे।इन सवालों के जवाब देने में काफी समझदारी की आवश्यकता होती थीं। एक बार उन्होंने एक बहुत ही अजीब सवाल पूछा।दरबारियों ने उसके प्रश्न ने गूंगा कर दिया था। अकबर ने अपने दरबारियों की ओर देखा।उसने देखा तो जवाब की तलाश में एक-एक कर सिर नीचे लटकने लगे।

उसी समय बीरबल ने आंगन में प्रवेश किया।बीरबल जो बादशाह के स्वभाव को जानता था,उसने तुरंत स्थिति को समझ लिया और पूछा।

क्या मैं इस प्रश्न को जान सकता हूँ ताकि मैं उत्तर के लिए प्रयास कर सकूं" अकबर ने कहा,इस शहर में कितने कौवे हैं? 



एक पल के विचार के बिना,बीरबल ने उत्तर दिया चालिस हजार पांच सौ कौवे है मेरे स्वामी"। तुम्हे इतना यकीन कैसे हो सकता है?अकबर से पूछा। बीरबल ने कहा हे प्रभु,तुम लोगों की गिनती करो।यदि आपको अधिक कौवे मिलते हैं तो इसका
 मतलब है कि कुछ लोग यहां अपने रिश्तेदारों से मिलने आए हैं।यदि आपको कम संख्या में कौवे मिलते हैं तो इसे लगता है कि कुछ अपने रिश्तेदारों के यहां मिलने गए हैं।

बीरबल की बुद्धि से अकबर बहुत प्रसन्न हुआ। 

इसेे सिख यहीं मिलती है की एक मजाकिया जवाब अपने उद्देश्य की पूर्ति कर सकता हैं समझदारी होनी चाहिए।

 मिलते है एक ओर रोचक कहानी के साथ।